पहनावा किसी भी स्त्री के सौंदर्य करण में चार चांद लगाने में सहायक सिद्ध होता है हर क्षेत्र की अपनी अपनी वेशभूषाएं हैं आज हम बात करेंगे हरियाणा में स्त्रियों की वेशभूषाओं के बारे में -
कमरी - यह आधी आस्तीन की कमर तक की जैकेट होती है इसे रूई से भर कर बनाया जाता है सर्दी से बचाव करने के लिए यह अच्छा वस्त्र है ।
कमरी - यह आधी आस्तीन की कमर तक की जैकेट होती है इसे रूई से भर कर बनाया जाता है सर्दी से बचाव करने के लिए यह अच्छा वस्त्र है ।
गुलबंद - हरियाणा में मफलर को गुलबंद या गुलीबंद कहा जाता है। यह एक लंबा पटकानुमा गरम कपड़ा या उन का बना होता है। जो गर्दन पर लपेटा जाता है। यह सर्दी में पहने जाने वाले महत्वपूर्ण वस्त्र है।
मिरजई - यह रूईभर कर बनाई गई कमरी अथवा जैकेट है जो जाड़े में पहनी जाती है।
उल्टी लाम्मण का घाघरा - यह उल्टी लाम्मण का ऊंचा घाघरा होता है जो प्राय गुजरी पहनती है ।
अंगी - सूती कपड़े का यह वस्त्र कमीज या जम्फर के नीचे स्तनों तक पहना जाता है।
कैरी - नीले खद्दर पर लाल टीको वाले कपड़ों का घाघरा होता है ।
कंघ - यह गहरे लाल रंग का ओढ़ना होता है ।
गुमटी - यह सूती रंगीन कपड़े पर रेशमी बूंदियों की कढ़ी ओढ़नी होती है ।
छयामा - छयामा यह पीले पाट की आकर्षक कशीदाकारी से युक्त ओढ़नी होती है ।
डीमाच - यह रेशमी ओढ़ना है जो कि विवाह में दुल्हन को चढ़ाया जाता है ।
दुकानिया - यह खद्दर का गहरे लाल रंग का पीले धागों से कढ़ाई किया ओढ़ना है। इसकी सिर्फ किनारियों पर ही कढ़ाई की जाती है ।
मौडिया - यह नीली या काले पल्लों की रंगाई का बारीक ओढ़ना होता है ।
लहरिया - यह बंधेज पद्धति की रंगाई से तैयार किया गया ओढ़ना होता है ।
लह - यह नीले कपड़े पर पीले और नीले धागों से की गई कढ़ाई वाले कपड़ों का घाघरा होता है।
सोपली - यह गहरे लाल रंग की किनारे पर छपी ओढ़नी होती है जिसे मांगलिक ओढ़नी समझा जाता है।