हरियाणा राज्य के विभिन्न स्थानों से पुराने समय के बहुत महत्वपूर्ण अभिलेख मिले हैं आज उन पर चर्चा करते हैं-
ब्राह्मण ग्रंथों व वैदिक ग्रंथों ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण ,ऐतरेय ब्राह्मण ,छन्दोग्य उपनिषद में इस राज्य के सामाजिक व आर्थिक जीवन की जानकारी मिलती है हरियाणा में अब तक ऐतिहासिक महत्व के 3 दर्जन से अधिक अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण अंबाला के निकट टोपरा से प्राप्त अशोक कालीन स्तंभ है।
11 वीं शताब्दी के चौहान राजा विग्रहराज चतुर्थ के तीन अभिलेख भी टोपरा के स्तंभ पर अंकित हैं जिनसे मलेच्छों पर विग्रहराज की विजय के संबंध में जानकारी मिलती है ।
कालांतर में इस टोपरा अभिलेख को फिरोज तुगलक ने दिल्ली मंगवा कर पुराने किले में स्थापित करवाया। महाभारत के नकुल दिग्विजयम शीर्षक में रोहतक का वर्णन प्राप्त होता है ।
ब्राह्मण ग्रंथों व वैदिक ग्रंथों ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण ,ऐतरेय ब्राह्मण ,छन्दोग्य उपनिषद में इस राज्य के सामाजिक व आर्थिक जीवन की जानकारी मिलती है हरियाणा में अब तक ऐतिहासिक महत्व के 3 दर्जन से अधिक अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण अंबाला के निकट टोपरा से प्राप्त अशोक कालीन स्तंभ है।
11 वीं शताब्दी के चौहान राजा विग्रहराज चतुर्थ के तीन अभिलेख भी टोपरा के स्तंभ पर अंकित हैं जिनसे मलेच्छों पर विग्रहराज की विजय के संबंध में जानकारी मिलती है ।
कालांतर में इस टोपरा अभिलेख को फिरोज तुगलक ने दिल्ली मंगवा कर पुराने किले में स्थापित करवाया। महाभारत के नकुल दिग्विजयम शीर्षक में रोहतक का वर्णन प्राप्त होता है ।
वामन पुराण में हरियाणा में बहने वाली नदियों का वर्णन किया गया है ।
संस्कृत में रचित ग्रंथ अष्टाध्यायी, महाभाष्य चतुर्भणि, हर्षचरित राज तरंगिणी आदि में हरियाणा की ऐतिहासिक जानकारी मिलती है बौद्ध साहित्य की मज्झिमनिकाय व दिव्यावदान में हरियाणा की जानकारी मिलती है ।
बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान में अग्रोहा रोहतक का उल्लेख है। जैन साहित्य भद्रबाहुचरित्र एवं कथा कोष में प्रथम शती से तीसरी शती तक सांस्कृतिक जीवन के विषय में अनेक बातें लिखी गई है । कवि पुष्पदंत ने महापुराण तथा श्रीधर ने पासणाहचरित्र में इस प्रदेश की चर्चा की है। बाराखडी में लिखित अभिलेख जगाधरी के पास सुध स्थान से मिलता है ।
सरोवर के निर्माण की जानकारी देने वाला करनाल का खरोष्ठी लिपि का अभिलेख है ।
तीसरी चौथी शतियों के संधि काल के भिवानी के तोशाम से दो अभिलेख प्राप्त हुए हैं ।
हिसार के गुजरी महल में एक स्तंभ पर 8 अभिलेख है, जो 8 जगह से आने वाले भागवतओं की सूचना देते हैं। कपालमोचन स्थान से एक अधूरा अभिलेख मिला है ।
एक अभिलेख उस देश से मिला है जहां के राजा देवंका ने कुरुक्षेत्र की महिमा लिखी है ।
पपेहवा से प्राप्त 9 वीं सदी में चरित भोजदेव का अभिलेख प्राप्त हुआ है , जिसमें हरियाणा के विषय में जानकारी मिलती है।
सिरसा से प्राप्त अभिलेख द्वारा ज्ञात होता है कि यहां पशुपति संप्रदाय भी था।
पेहोवा में प्रतिहार राजा महेंद्र पाल का एक शिलालेख है जिसमें मंदिरों के निर्माण की चर्चा की गई है ।
अग्रोहा से प्राप्त अभिलेख में संगीत के सातों स्वरों का अंकन है ।
कनिंघम में पिंजौर से काफी पुराने 3 अभिलेख प्राप्त किए थे ।
एक अभिलेख अग्रोहा से प्राप्त एक मुद्रांक पर अंकित है इससे योधयेगण की प्रशासनिक व्यवस्था पर कुछ प्रकाश पड़ता है हर्ष की सोनीपत से प्राप्त ताम्र मुद्राक इससे भी अधिक महत्व की है । इससे हमें पुष्यभूति नरेश हर्षवर्धन के वंश वृक्ष का ज्ञान होता है ।
मोहनबाड़ी रोहतक और गुरवाड़ा रेवाड़ी से लगभग इसी काल के कुछ अभिलेख मिले हैं यह सब वैष्णव मंदिरों के निर्माण से संबंधित हैं ।
विष्णु भगत शोभगाता द्वारा बनवाए गए तोशाम अभिलेख और तालाब की जानकारी है ।
राजा देवका द्वारा कुरुक्षेत्र की प्रशंसा, दक्षिण पूर्व एशियाई देश लाओस से किए जाने वाला अभिलेख है। नौवीं शताब्दी का भोजदेव का अभिलेख पेहोवा अभिलेख।
पशुपति संप्रदाय से संबंधित सिरसा का अभिलेख।
पृथ्वीराज द्वितीय का अभिलेख हांसी से प्राप्त हुआ है।
लाडनू नागौर से प्राप्त एक अभिलेख के अनुसार हरियाणा राज्य की राजधानी दिल्ली थी।