हरियाणा राज्य का गठन

हरियाणा राज्य का गठन 1858 से लेकर 1966 तक का पूरा विवरण -

सन 1858 - में हरियाणा राज्य का अधिकांश हिस्सा पंजाब राज्य में शामिल कर लिया गया था तथा इसी के तहत सन 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ उस समय हरियाणा पंजाब में ही शामिल रहा |
सन 1925 - में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष परीजादा मुहम्मद हुसैन ने हरियाणा को

पंजाब से निकल कर दिल्ली में मिलाने की मांग उठाई थी |
9 दिसम्बर 1932 - को दीनबंधु गुप्त ने हरियाणा को पंजाब से अलग रखने की मांग रखी थी |
1946  में डॉ पट्टाभि सीतारमैया ने अखिल भारतीय भाषायी कॉन्फ्रेंस (दिल्ली ) के सम्मुख दीनबंधु गुप्त की मांग का खुला  समर्थन किया था |
1 अक्टूबर 1949  को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री भीमसेन सच्चर द्वारा तैयार किये गए फार्मूले के अंतर्गत  पंजाब प्रान्त को दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया |
 सच्चर फार्मूले के द्वारा पंजाबी क्षेत्र में सरकारी भाषा पंजाबी और हिंदी क्षेत्र में देवनागरी लिपि का प्रयोग होना सुनिश्चित हुआ |
हिंदी क्षेत्र में रोहतक, गुरुग्राम,करनाल, काँगड़ा, हिसार के जिले तथा अम्बाला जिले की जगाधरी और नारायणगढ़ की तहसीलें सम्मिलित थी | पंजाबी क्षेत्र में शेष पंजाब का भाग शामिल था, लेकिन जनता ने इस फार्मूले को अस्वीकार कर दिया |
सन 1953  में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग ने पंजाब विभाजन की मांग भाषायी आधार पर अस्वीकार कर दी थी | पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य को पंजाब क्षेत्र में तथा महेंद्रगढ़ व जींद को हरियाणा क्षेत्र में शामिल करने की शिफारिश की थी |
सन 1965  - में भारत सरकार ने लोकसभा के अध्यक्ष सरदार हुकमसिंह की अध्यक्षता में पंजाब विभाजन पर विचार  करने के लिए एक संसदीय समिति का गठन किया |
समिति की सिफारिश के आधार पर सरकार ने मार्च 1966 में सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश श्री शाह अध्यक्षता में पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया |
आयोग द्वारा जब सीमांकन के पश्चात् 18 सितम्बर 1966 में संसद ने पंजाब पुनर्गठन एक्ट पारित किया | इस प्रकार लम्बे सघर्षों के उपरांत देश के 17 वे राज्य हरियाणा का गठन 1  नवंबर 1966 को किया गया |