हरियाणा में हर साल 2 तरह की फसलें उगाई जाती है एक रवि की दूसरी खरीफ या सावनी की , रबी की फसल को आषाढी की फसल के नाम से भी जाना जाता है -
आषाढी या रबी - गेहूं ,चना, सरसों इत्यादि जो राज्य की प्रमुख फसलें हैं इसके अंतर्गत आती हैं । इनको ग्रामीण भाई आषाढी कहते हैं क्योंकि खेतों में इसकी प्राप्ति आषाढ़ मास के दौरान होती है लेकिन सरकारी कार्यालयों में यह रवि के नाम से जानी जाती है । यह फसलें सर्दी के आरंभ में अक्टूबर-नवंबर मार्च के दौरान बोई जाती हैं तथा उनकी कटाई गर्मी के आरंभ में अप्रैल-मई मार्च तक संपन्न हो जाती है ।
गेहूं - गेहूं के उत्पादन में हरियाणा देश में उत्तर प्रदेश और पंजाब के बाद तीसरे नंबर पर
आता है परंतु राष्ट्रीय अन्न भंडार को हरियाणा पंजाब के बाद दूसरे नंबर पर गेहूं देता है । उल्लेखनीय है गेहूं का उत्पादन वर्ष 1966-67 के 10.59 लाख टन की तुलना में वर्ष 2001-02 में 96.52 लाख टन तक पहुंच गया ।आषाढी या रबी - गेहूं ,चना, सरसों इत्यादि जो राज्य की प्रमुख फसलें हैं इसके अंतर्गत आती हैं । इनको ग्रामीण भाई आषाढी कहते हैं क्योंकि खेतों में इसकी प्राप्ति आषाढ़ मास के दौरान होती है लेकिन सरकारी कार्यालयों में यह रवि के नाम से जानी जाती है । यह फसलें सर्दी के आरंभ में अक्टूबर-नवंबर मार्च के दौरान बोई जाती हैं तथा उनकी कटाई गर्मी के आरंभ में अप्रैल-मई मार्च तक संपन्न हो जाती है ।
गेहूं - गेहूं के उत्पादन में हरियाणा देश में उत्तर प्रदेश और पंजाब के बाद तीसरे नंबर पर
चना - चना शुष्क इलाकों में पैदा होता है जहां नहर की सिंचाई होती है वहां चना पैदा नहीं होता है । वर्ष 1996-97 में चने का उत्पादन 2.77 लाख टन तथा 2001-02 में 58 हजार टन रहा।
जौ - यह काम पानी जो की फसल है । जहाँ पानी की कमी होती है वहां अधिक बोया जाता है ।2001-02 में 1 लाख 2 हजार टन उत्पादन रहा ।
सावनी या खरीफ - हरियाणा की दूसरी फसल चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का और कपास है जो सावनी अथवा खरीफ के नाम से जानी जाती है । यह फसलें मानसून की पहली जोरदार बौछार के उपरांत जुलाई के आरंभ में बोई जाती है और लगभग सितंबर के अंत तक काट ली जाती हैं ।
चावल - चावल को अधिक पानी की आवश्यकता होती है इसलिए शुष्क इलाके में नहीं होता । यह करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र एवं जींद जिले में होता है । इन चारों जिलों में राज्य का आधा चावल पैदा होता है । इस क्षेत्र को चावल का कटोरा भी कहते हैं । 2002-03 में 27.26 लाख उत्पादन हुआ। उल्लेखनीय है कि राज्य में चावल का उत्पादन वर्ष 1966-67 के 2.23 लाख टन की तुलना में वर्ष 1996-97 में 24.66 लाख टन हुआ। जबकि वर्ष 2000-01 में कपास का उत्पादन 26.84 टन, बाजरे का का उत्पादन 11.38 टन व मक्का का उत्पादन 4.40 लाख टन हुआ ।
बाजरा - यह शुष्क इलाके में होता है यह पूर्ण रूप से वर्षा पर आधारित है इसका उत्पादन 2002-03 में 832 हजार टन हुआ ।
गन्ना - गन्ना राज्य की प्रमुख फसल है जो मार्च-अप्रैल में बोया जाता है और जिस की कटाई नवंबर में शुरू हो कर फरवरी तक चलती है । इसका उत्पादन 2002-03 में 764 हजार टन हुआ ।
कपास - कपास भारत की आदि फसल है । इसमें मजदूरों की भी काफी खपत होती है । कपास उत्पादन 1966-67 में केवल 2.88 लाख गांठ का था जो अब 2000-03 में 13.83 लाख गांठ हो गया है।