राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर एक पर स्थित अंबाला जिले के नाम के संबंध में विभिन्न अवधारणाओं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस नगर की स्थापना 14वी शताब्दी में अंबा राजपूत द्वारा की गई थी। जिससे इसका नाम अंबाला पड़ा। एक अन्य अवधारणा है कि इस नगर का नाम अंबा भवानी देवी के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर नगर में अब भी स्थित है। अंबाला एक प्राचीन ऐतिहासिक नगर है ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि अंबाला को आर्यों ने अपना स्थाई निवास बनाया था। मान्यता है कि मध्य काल के दौरान अंबाला का निकटवर्ती स्थान
सरुधना देश की राजधानी रहा है। बादशाह अकबर के शासनकाल में अंबाला दिल्ली सुबे की सरहिंद सरकार का एक छोटा सा महाल था। जिसके लिए 100 घुड़सवारों समेत 1100 सैनिकों की फौज टुकड़ी निर्धारित थी। परगने के कुल 96731 एकड़ क्षेत्रफल से ₹104952 रुपये सरकारी खजाने हेतु तथा 8037 रुपए धर्मार्थ कार्यों के लिए प्राप्त होते थे। नगर अंबाला रियासती मुख्यालय था। इस रियासत की स्थापना संगत सिंह ने सन 1763 में की थी। सरदार संगत सिंह, ध्यान सिंह, गुरबख्श सिंह, रानी दयाकोर तथा महाराजा रणजीत सिंह इसके शासक रहे। 20 मार्च 1822 को पहाड़ी वैश्विक रियासतों के अंग्रेज अधीक्षक का कार्यालय करनाल से यहां शिफ्ट करते ही इस का दर्जा महत्वपूर्ण हो गया। कैप्टन रोस, लेफ्टिनेंट मुरे, वेडे व क्लार्क यहां एजेंट नियुक्त रहे। सन 1842 में अंबाला को शिमला के अधीन किया गया था। 1843 में करनाल से यहां छावनी लाई गई वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने जनवरी 1860 में यहां दरबार लगाया तब डाक की सुविधा शुरू हुई थी। दिल्ली और ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के रास्ते में होने के कारण सन 1880 में अंबाला को रेलवे लाइन से जोड़ा गया था। जिले के रूप में अंबाला का गठन अंग्रेजों के शासन काल में सन 1847 में हुआ था और उस समय इसकी 6 तहसीलें अंबाला, जगाधरी, रोपड़, खरड़, नारायणगढ़ और नालागढ़ थी। सन 1966 में हरियाणा के पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने पर हुए पुनर्गठन से अंबाला जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ। चंडीगढ़ का संघीय क्षेत्र जो अंबाला का ही एक भाग था इससे अलग हो गया। इसके अतिरिक्त रोपड़ और खरड़ दो तहसीलें भी अंबाला जिले से अलग करके पंजाब को दे दी गई। नालागढ़ तहसील का हिमाचल प्रदेश में विलय कर दिया गया। इस जिले के दक्षिण में महाभारत युद्ध की महागाथा का साक्षी रहा जिला कुरुक्षेत्र है जबकि पूर्व में औद्योगिक नगर यमुनानगर और पश्चिम में पंजाब का पटियाला जिला स्थित है। उत्तर में अरावली की पहाड़ियां और पंचकुला जिला विद्यमान है। यह जिला राज्य तथा देश की राजधानी से राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जुड़ा हुआ है ।सन 1859 में पंजाब प्रशासन द्वारा बनाए गए जिले एवं मंडल का मुख्यालय बनने के कारण अंबाला प्रसिद्ध हो गया। 1 नवंबर 1989 को अंबाला जिले से जगाधरी उपमंडल को अलग कर दिया गया इसके उपरांत 15 अगस्त 1995 को अंबाला जिले को विभाजन के एक अन्य दौर से गुजरना पड़ा पंचकूला उपमंडल को अलग जिले का दर्जा दे दिया गया। इस विभाजन से अंबाला के पंचकूला मंडल के साथ-साथ रायपुर रानी और मोरनी उप- तहसीलों को भी पंचकूला में शामिल किया गया हालांकि पंचकूला जिले के अस्तित्व में आने के बाद मोरनी व पिंजौर गार्डन जैसे पर्यटन स्थलों से अंबाला को वंचित होना पड़ा। लेकिन मिक्सी उद्योग और वैज्ञानिक उपकरण उद्योग के बल पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अंबाला का एक विशिष्ट स्थान आज भी कायम है। अंबाला मिक्सी कम ग्राइंडर, वैज्ञानिक उपकरण, गैस स्टोव, हस्त निर्मित दरिया तथा इंजीनियरिंग संबंध उपकरणों का बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए एक औद्योगिक नगर के रूप में जाना जाता है। अकेले इस जिले की लघु औद्योगिक इकाइयों द्वारा देश के वैज्ञानिक उपकरणों के निर्यात में 20% का हिस्सा है। दूसरे विश्वयुद्ध से पूर्व से ही यहां का शीशा उद्योग प्रसिद्ध है। अंबाला शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी जिला है यहां अनेक डिग्री कॉलेज, तकनीकी कॉलेज के साथ साथ महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय भी है।