डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
1. परिचय
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (1884–1963) भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान, वकील और राजनेता थे। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने और अब तक सबसे लम्बे समय तक राष्ट्रपति पद संभालने वाले व्यक्ति हैं। उनकी सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण उन्हें विशेष बनाते हैं।
2. प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
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जन्म: 3 दिसंबर 1884, ज़िरादेई गाँव, जिला सीवान (बिहार)
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पिता: महादेव सहाय (फ़ारसी एवं संस्कृत के विद्वान)
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माता: कमलेश्वरी देवी
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बचपन से ही अत्यंत मेधावी और अनुशासित छात्र।
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प्रारंभिक शिक्षा छपरा और पटना में।
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आगे की शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता में।
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प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान; परीक्षक ने लिखा—
“परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है।”
विधि (Law) शिक्षा
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एम.ए. करने के बाद कानून की पढ़ाई।
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कोलकाता हाई कोर्ट और बाद में पटना हाई कोर्ट में सफल वकील बने।
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कुछ समय शिक्षक के रूप में भी कार्य किया।
3. स्वतंत्रता आंदोलन में प्रवेश
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1917 के चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी से प्रभावित होकर वकालत छोड़ दी।
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बिहार बाढ़ (1914), बंगाल अकाल और 1934 के भूकंप में राहत कार्यों में सक्रिय।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से जुड़े और महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।
4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में योगदान
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अनुशासन और नेतृत्व क्षमता के कारण उच्च पदों पर चुने गए।
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कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में तीन बार कार्य किया:
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1934 (बॉम्बे सत्र)
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1939 (कार्यकारी अध्यक्ष)
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1947 (संविधान सभा अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष)
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5. संविधान सभा में भूमिका
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संविधान सभा के अध्यक्ष (1946–1950) नियुक्त हुए।
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संविधान निर्माण के दौरान सभी बहसों को संयम, धैर्य और निष्पक्षता से संचालित किया।
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26 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए।
6. भारत के प्रथम राष्ट्रपति (1950–1962)
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26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
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तीन कार्यकाल तक राष्ट्रपति पद पर रहे — भारत के इतिहास में सबसे लंबा कार्यकाल।
मुख्य विशेषताएँ:
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राजनीतिक निष्पक्षता और संविधानिक आदर्शों का पालन।
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प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध, हालांकि कुछ मुद्दों पर सिद्धांत आधारित मतभेद भी।
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देश के विभिन्न राज्यों का दौरा कर शिक्षा, संस्कृति और ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया।
7. व्यक्तित्व एवं दर्शन
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गांधीजी के विचारों—सादगी, अहिंसा और सेवा—से अत्यधिक प्रभावित।
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अत्यंत सरल, विनम्र और आध्यात्मिक व्यक्तित्व।
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हिंदी, अंग्रेज़ी, फ़ारसी, बंगाली सहित कई भाषाओं का ज्ञान।
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प्रतिबद्ध, नैतिक और आदर्शवादी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं।
8. साहित्यिक योगदान
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक कुशल लेखक भी थे।
प्रमुख कृतियाँ:
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आत्मकथा
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इंडिया डिवाइडेड (विभाजन पर विचार)
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सत्याग्रह एट चंपारण
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द प्रेसिडेंट स्पीक्स
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बापू के कदमों में (महात्मा गांधी पर)
9. पुरस्कार एवं सम्मान
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भारत रत्न (1962) — भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
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अनेक विश्वविद्यालय, संस्थान और सड़कें उनके नाम पर हैं।
10. अंतिम जीवन और निधन
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1962 में राष्ट्रपति पद से अवकाश लेकर पटना लौट आए।
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शेष जीवन लेखन और अध्ययन में बिताया।
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निधन: 28 फरवरी 1963
11. विरासत (Legacy)
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राष्ट्रीय एकता, नैतिक मूल्यों और आदर्श नेतृत्व का प्रतीक।
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संविधान निर्माण, स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रपति के रूप में उनके योगदान को सदैव याद किया जाता है।
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लोकतंत्र और सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज भी प्रेरणा देती है।
