कौन थे राजा भोज
⧫⧫⧫ राजा भोज मालवा रीजन के राजा थे, जिन्होंने 11वीं सदी में मालवा पर राज किया था. वह एक वीर और ताकतवर राजा थे और उन्होंने भोपाल की खोज की थी. उनके ही नाम पर भोपाल का नाम भी रखा गया था. पहले भोपाल का नाम *भोजपाल* हुआ करता था. जो राजा भोज के ही नाम पर था. बाद में इसी नाम को बदल कर भोपाल
कर दिया गया है. राजा भोज मालवा के राजा हुआ करते थे और उस समय वहां की राजधानी धार हुआ करती थी, जहां पर राजा भोज ने कई युद्ध लड़े और जीत भी हासिल की. जिनमे से उनके दो युद्ध थे *कल्चुरी नरेश गांगेय यानी “गंगू”* से और *चालुक्य नरेश तैलंग यानी ” तेली”* से. जिसमे राजा भोज ने इन दोनो राजाओं को बहुत ही बुरी तरह से हरा दिया था. जिसके बाद से ये कहावत काफी प्रसिद्ध हो गई. जो राजा भोज के बल और प्रतिष्ठा को दर्शाती है और दूसरी तरफ गंगू और तेली की हार और कमजोरी की व्याख्या करती है.
कौन थे गंगू और तेली
⧫⧫⧫ इतिहासकारों का मानना है कि गंगू और तेली दक्षिण भारत के दो अलग-अलग राजा हुआ करते थे. “गंगू” का पूरा नाम कलचुरि नरेश गांगेय था. वहीं “तेली” का पूरा नाम चालुक्य नरेश तैलंग था. ये दोनों काफी अभिमानी राजा थे और खुद को काफी बहादुर और बुद्धिमान समझते थे. एक बार इन दोनो ने मिल कर राजा भोज के राज्य पर आक्रमण कर दिया था. जिसके बाद राजा भोज ने अपनी छोटी सी सेना की मदद से दोनों को बहुत ही बुरी तरह हरा दिया था, जिसके बाद से ही ये कहावत प्रसिद्ध हो गई.