क्या ये बात सही है कि अंतरिक्ष में जाने पर मनुष्यों की लंबाई बढ़ जाती है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों पर हुई रिसर्च बताती है कि वाकई ऐसा है कि अंतरिक्ष में रहने पर लंबाई बढ़ जाती है. ये कितनी बढ़ती है और कैसे बढ़ती है, ये जानना भी कुछ कम रोचक नहीं है.
♨️अंतरिक्ष में छह महीने बिताने के बाद अंतरिक्षयात्री अपनी वास्तविक ऊंचाई से लगभग तीन प्रतिशत लंबे हो जाते हैं. इसकी वजह ये है कि उन पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का कोई असर नहीं रहता है, जिससे उनका कद बढ़ जाता है. हालांकि ये अस्थायी है और जमीन पर लौटने के कुछ ही महीनों के भीतर कद वापस पहले जैसा हो जाता है.
♨️स्पेस में पानी उबालें तो धरती से एकदम अलग अनुभव होगा. यहां उबलते पानी में सैकड़ों-हजारों बुलबुले बनते हैं, जबकि अंतरिक्ष में पानी गर्म करें तो सिर्फ एक बड़ा सा बुलबुला बनता है. इसके लिए धरती का गुरुत्वाकर्षण जिम्मेदार है.
♨️लगभग 30 सालों के प्रयोगों से साबित हो गया कि धरती पर फलने-फूलने वाले बैक्टीरिया की तुलना में अंतरिक्ष में जर्म्स ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं और बेहद खतरनाक होते हैं. यहां पर बैक्टीरिया की अनुवांशिकता में बदलाव हो जाता है. इस पर लगातार प्रयोग भी हो रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि इनके जरिए चिकित्सा विज्ञान में कुछ नया हो सकेगा.
♨️भविष्य में स्पेस में जाने की मंशा हो तो सोडा या कोक पीने का मोह एकदम छोड़ दीजिए. स्पेस में ग्रेविटी न होने की वजह से गैस के बुलबुले निष्क्रिय पड़े रहते हैं और सोडा पीने के बाद भी डकार नहीं आती है और पेट में अजीब सा अहसास होता है. एस्ट्रोनॉट्स की इसी दिक्कत को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया में स्पेस बियर पर प्रयोग चल रहे हैं.
♨️अंतरिक्ष में फूलों की खुशबू एकदम बदल जाती है. यहां तापमान, आद्रर्ता और कई कारकों की वजह से पौधे से पैदा होने वाला तैलीय तत्व प्रभावित होता है, जिसका असर खुशबू पर होता है. जापान की एक परफ्यूम कंपनी ने इस दुनिया की अलग खुशबू को पकड़कर अपने एक परफ्यूम ज़ेन में लाने की कोशिश की.
♨️स्पेस का पसीना भी आपके पसीने ला सकता है. चूंकि यहां गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है तो पसीना आता तो है लेकिन न तो सूखता है और न ही टपकता है. इससे पसीना जहां है, वहीं बना रहता है.