✅ विश्व नींद दिवस : 𝚆𝙾𝚁𝙻𝙳 𝚂𝙻𝙴𝙴𝙿 𝙳𝙰𝚈 😴
विश्व नींद दिवस (World Sleep Day ) प्रत्येक वर्ष 'मार्च विषुव' (21 मार्च) से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है। नींद के महत्त्व को रेखांकित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग 'स्लीप एप्निआ' यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनभिज्ञ हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं तो उसे नियमित बनाए नहीं रख पाते।
▪️ विश्व नींद दिवस की स्थापना :
वर्ल्ड मेडिसन एसोसिएशन ऑफ स्लीप मेडिसिन द्वारा वर्ष 2008 में शुरू किया गया।विश्व नींद दिवस को कमेटी ऑफ वर्ल्ड स्लीप सोसायटी जो संयुक्त राज्य में स्थित एक गैर लाभकारी संस्था है। जिसका उद्देश्य नींद में कमी या अनिंद्रा की कैसे रोकथाम की जा सके। डब्ल्यू एस एस (WSS) बताती है अगर हम कुछ नियमों का पालन करके अच्छी नींद लेकर दुनियाभर को नींद से होने वाली बीमारियों से छुटकारा दिलाया जा सकते है। डब्ल्यू एस एस (WSS) द्वारा प्रत्येक वर्ष बसंत वर्नल विषुव (उत्तरी गोलार्ध विषुव) से पहले पढ़ने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है।
विषुव ऐसा समय बिंदु होता है जिसमें दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। यह दिवस मार्च के तीसरे शुक्रवार को माना जाता है। जो इस वर्ष 2021 को 19 मार्च का दिन हैं। दुनिया भर में 155 आयोजन होते हैं और 70 से अधिक देशों द्वारा इसमें भाग लिया जाता है। डॉक्टर लूर्डेस डेलोर्सो, विश्व नींद दिवस 2021 समिति के सह-अध्यक्ष हैं। हर वर्ष विश्व नींद दिवस की कोई ना कोई थीम होती है 14 वे विश्व दिवस नींद दिवस पर इस वर्ष नियामत नींद स्वस्थ भविष्य है।
▪️ स्लीप एप्निआ की समस्या :
आज विश्व नींद दिवस है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को नींद की महत्ता बताने और नींद की कमी को दूर करना है। एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारत में 20.3 प्रतिशत रोगी डॉक्टरों से नींद की गोलियां लिखने को कहते हैं। इस बात या चीज से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों में कितनी नींद की कमी है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग स्लीप एप्निआ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं। स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनी फिलिप्स इंडिया लिमिटेड ने सर्वेक्षण के तहत जब 13 देशों – अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, फ़्राँस, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कोलंबिया, अर्जेटीना, मेक्सिको, ब्राजील और जापान में 15,000 से अधिक वयस्कों से नींद के बारे में पूछा, तो कुछ रोचक तथ्य सामने आए।
▪️ नींद अभी भी प्राथमिकता नहीं :
67 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अच्छी नींद की जरूरत महसूस की, लेकिन यह उनकी प्राथमिकता में शामिल नहीं है। भारत में 66 प्रतिशत लोग मानते हैं कि तंदुरुस्ती के लिए नींद से ज्यादा व्यायाम जरूरी है, जबकि चिकित्सकों का मानना है कि प्रतिदिन छह से आठ घंटे नींद लेना जरूरी है।
▪️ अच्छी नींद पाने के प्रयास :
दुनियाभर में 77 प्रतिशत वयस्कों ने अपनी नींद में सुधार की कोशिश की है। लोकप्रिय प्रयासों में शामिल हैं सुखदायक संगीत (36 प्रतिशत) और सोने के समय उठने के समय सारिणी का पालन (32 प्रतिशत) सहित अन्य। भारतीय उत्तरदाताओं में से 45 प्रतिशत वयस्कों ने बताया कि उन्होंने अच्छी नींद के लिए ध्यान केंदित करने की कोशिश की, जबकि 24 प्रतिशत वयस्कों ने अच्छी नींद लेने और उसे बनाए रखने के लिए विशेष बिस्तर को अपनाया।
▪️ युवा पीढ़ी की अलग सोच :
युवा पीढ़ी (18 से 24 वर्ष आयु वर्ग) नींद के बारे में अलग ढंग से सोचती है। इन युवाओं के पास सोने का समय निर्धारित होने की संभावना कम है, फिर भी वे हर रात अधिक नींद लेते हैं यानी 7.2 घंटे सोते हैं। इनकी तुलना में 25 वर्ष से अधिक के लोग 6.9 घंटे ही सोते हैं। वे अच्छी नींद लेने की आदत न अपनाने पर भी ज्यादा अपराध बोध महसूस करते हैं (35 वर्ष से अधिक आयु के 26 प्रतिशत की तुलना में 35 प्रतिशत)।