शिवालिक की तलहटी में बसा है जिला अंबाला का एक छोटा सा गांव हंगोला। गांव की कहानी तो साधारण ही है पर यहां के एक पूर्व सरपंच योगध्यान की कहानी जरूर असाधारण है। योगध्यान शायद देश का ऐसा पहला सरपंच है जो लगातार 44 वर्षों तक सरपंच के पद पर रहा। लगभग 80 वर्ष से ऊपर की आयु में वह एक चुस्त युवक सा उत्साह संजोए रहा। गांधी और विनोबा के दर्शन से वह न केवल प्रभावित है उस पर जिंदगी भर अमल भी किया है। छात्र अवस्था में एक अध्यापक ने उसे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने की प्रेरणा दी। वह उस समय सालबा माजरी जिला रोपड़ पंजाब के स्कूल का विद्यार्थी था। जब सन् 1938 में सुभाष चंद्र बोस के अंबाला आने की खबर उस तक पहुंची। वह नेता जी का भाषण सुनने के लिए 40 कोस पैदल गया। उसी मौके पर उसने नेताजी को अंबाला में कांग्रेस के कार्यालय का शिलान्यास करते देखा था। लोग प्राय इस घटना को भूल गए थे।
वर्षों बाद सन 1966 में योगध्यान ने संबंधित लोगों को इस संबंध में जानकारी दी तो कार्यालय के ऊपरी हाल का नाम नेताजी के नाम पर रखा गया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में योगध्यान ने तत्कालीन प्रसिद्ध नेता महावीर त्यागी के साथ देहरादून में गिरफ्तारी दी। उस समय पुलिस द्वारा दी गई यातना के निशान आज भी उनके चेहरे पर अंकित हैं।
गांव की ओर मुड़े तो विकास के कई कार्य यहां देखने को मिलते हैं। अपने लंबे कार्यकाल में योगध्यान ने सरपंच की हैसियत से ही नहीं बल्कि राजनेताओं से निकट संपर्क होने के कारण हंगोला में कई सार्वजनिक सुविधाएं मुहैया करवाई। प्राइमरी स्कूल का दर्जा मिडिल और फिर हाई स्कूल तक करवाया। गांव की गलियां पक्की करवाने और ब्लॉक मुख्यालय रायपुर रानी को 5 किलोमीटर लंबी तारकोल सड़क से जोड़ने का श्रेय भी इसी सरपंच को है। तलहटी का यह भाग समतल नहीं है इसलिए सड़क भी ऊंचे नीचे स्थानों से गुजरती हुई गांव तक पहुंचती है। गांव समलहेडी के पास वर्षा के दिनों में पहाड़ी नाले का दो ढाई फुट ऊंचा पानी सड़क पर बहने लगता है और यातायात में भारी रुकावट पैदा करता है। इस सरपंच की तत्परता और लगन से पंचायत और सरकार द्वारा सड़क को ऊंचा उठाने के लिए प्रयास हुए हैं।
हंगोला की आबादी करीब 16 सौ है लगभग 900 व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सालय, मिनी बैंक, ग्रामीण बैंक की सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं। महिला मंडल और आंगनबाड़ी केंद्र भी है। जिले में चले पूर्व साक्षरता अभियान के तहत गांव में अनेक कक्षाएं लगी और लोग साक्षरता एवं शिक्षा के प्रति जागरूक हुए। इस गांव के आसपास कई कॉलेज खुल जाने से उच्चतर शिक्षा का रुझान बढ़ा है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। सिंचाई की जरूरत दो सरकारी नलकूप और एक दर्जन नलकूप पूरा करते हैं। गांव की प्रमुख मांग नहरी पानी की उपलब्धता है। गांव के करीब 50 व्यक्ति नौकरी पेशा है। कुछ ऊंचे पदों पर भी हैं। जगमोहन शर्मा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी रहे हैं। हरदेव सिंह उप निदेशक एवं चंद्रशेखर वन विभाग में सचिव रहे हैं।