मोर (Peacock) एक सुंदर और आकर्षक पक्षी है, जिसका वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस (Pavo cristatus) है। यह पक्षी तीतर (Pheasant) परिवार से संबंधित है और मुख्य रूप से भारत, श्रीलंका और म्यांमार में पाया जाता है
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है और इसे 26 जनवरी 1963 को यह दर्जा मिला था। यह पक्षी अपनी सुंदरता और रंग-बिरंगे पंखों के लिए प्रसिद्ध है। मोर की गर्दन और छाती नीले रंग की होती है, जबकि इसके पंख हरे और नीले रंगों का मिश्रण होते हैं। मोर की कुल लंबाई 6 से 7 फीट तक होती है और यह मुख्य रूप से भारत, श्रीलंका और म्यांमार में पाया जाता है
मोर बरसात के मौसम में अपने पंखों को फैलाकर खूबसूरत नृत्य करता है, जो देखने में बहुत आकर्षक होता है। यह पक्षी सर्वाहारी होता है और छोटे पौधों की पत्तियों से लेकर साँप तक को खा जाता है। मोर का जीवनकाल लगभग 20 से 25 वर्ष तक का होता है
मोर के वैज्ञानिक तथ्य और रोचक जानकारियाँ:
प्रजातियाँ: मोरों की तीन प्रमुख प्रजातियाँ हैं - भारतीय मोर (Blue Indian Peacock), हरा मोर (Green Peacock), और कांगो मोर (Congo Peacock)। इनमें से भारतीय मोर सबसे अधिक प्रसिद्ध है
आकार और वजन: नर मोर का वजन 4 से 6 किलोग्राम तक हो सकता है, जबकि मादा मोर का वजन लगभग 2.75 से 4 किलोग्राम तक होता है। नर मोर की लंबाई लगभग 6 से 7 फीट तक हो सकती है
पंख: मोर के पंखों का फैलाव लगभग 1.5 मीटर (4.9 फीट) तक हो सकता है। नर मोर के पंखों पर खूबसूरत और रंग-बिरंगे ‘आई स्पॉट्स’ होते हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं
आहार: मोर सर्वाहारी होते हैं। ये अनाज, घास, फल, बीज, फूलों की पंखुड़ियाँ, चीटियाँ, कीड़े, दीमक, टिड्डियाँ, चूहे, छिपकली, और साँप आदि खाते हैं
जीवनकाल: जंगल में पाए जाने वाले मोरों का जीवनकाल लगभग 20 वर्ष तक होता है, जबकि चिड़ियाघर या अन्य सुरक्षित स्थानों में रहने वाले मोरों का जीवनकाल लगभग 50 वर्ष तक हो सकता है
उड़ान: मोर उड़ सकते हैं, लेकिन केवल सीमित दूरी तक। ये मुख्यतः शिकारी से बचने की कोशिश में या रात में पेड़ की ऊँचाई पर सोने के लिए उड़ान भरते हैं
प्रजनन: मादा मोर (Peahen) जमीन पर ही सुरक्षित स्थान पर अंडे देती है। एक बार में मादा मोर 3 से 5 अंडे देती है
संस्कृति में महत्व: हिंदू धर्म में मोर का विशेष महत्व है। इसे भगवान कार्तिकेय का वाहन माना जाता है और भगवान कृष्ण के मुकुट पर भी मोर पंख का विशेष स्थान है
मोर न केवल अपनी सुंदरता के लिए बल्कि अपने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यह पक्षी भारतीय वन्यजीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे संरक्षित करने के प्रयास जारी हैं।