दांडी सत्याग्रह दिवस : ᴅᴀɴᴅɪ sᴀᴛʏᴀɢʀᴀʜᴀ ᴅᴀʏ

✅ दांडी सत्याग्रह दिवस : ᴅᴀɴᴅɪ sᴀᴛʏᴀɢʀᴀʜᴀ ᴅᴀʏ

📌 "दांडी सत्याग्रह दिवस : दांडी मार्च में मुरादाबाद के 8 लोगों ने भी दिया था बलिदान।"

मुरादाबाद, अमृत विचार: 6 अप्रैल 1930 यानी आज के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा निकाली थी। यह मार्च अंग्रेज सरकार द्वारा नमक के ऊपर टैक्स लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया था, जिसे दांडी सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। उस समय नमक कानून को भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां खाई थीं। इस सत्याग्रह के एक साल बाद 1931 को गांधी-इर्विन के बीच हुए समझौते के बाद नमक पर टैक्स कानून खत्म हो गया।

इस आंदोलन में महानगर के 8 लोगों ने भी बलिदान दिया था। इस स्मृति को अमृत विचार से साझा करते हुए अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन से जुड़े धवल दीक्षित ने अपने शहर के सत्याग्राही महापुरुषों के अनुभवों को बताया।

दीक्षित ने बताया कि 1930 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू किए गए नमक सत्याग्रह में मुरादाबाद की अनेक क्षेत्रों में स्वयंसेवकों के जत्थे पैदल भेजे गए थे। जत्थो ने बदायूं में जाकर नमक कानून तोड़ा, मगर वहां पर कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। जत्थों की वापसी के बाद उनके द्वारा लाया गया नमक मुरादाबाद शहर के टाउन हाल के आम जलसे में नीलाम किया गया और धरना दिया गया। टाउन हाल पर भारी भीड़ थी और नमक सत्याग्रह चल रहा था।

🔫 टाउन हाल में अंग्रेजों ने बरसाईं थीं गोलियां :

धवल दीक्षित ने बताया कि आंदोलन में स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी के कारण शहर में हड़ताल हो गई और बड़ी संख्या में लोग टाउन हाल में पहुंचे थे। वहां पर पहले भीड़ पर लाठीचार्ज किया गया, फिर अंग्रेजी सरकार ने निहत्थे स्वयंसेवकों पर गोली चला दी। इसमें मदन मोहन, रहमतुल्ला, लतीफ अहमद, नजीर अहमद और चार अन्य लोग (जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं) शहीद हो गए थे। इसके बाद शाम को जामा मस्जिद के नीचे एक विशाल सभा हुई, जिसमें सैकड़ों सत्याग्रही गिरफ्तार किए गए थे। इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित लाखों लोगों ने भाग लिया था। 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा तो महानगर के स्वयंसेवकों ने पूरा सहयोग दिया था।