अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय - संक्षिप्त परिचय

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय 

✅ स्थापना - 1946 ई. में संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र के अंतर्गत 
✅ मुख्यालय - शांति महल (पीस पैलस), हेग (संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों के विपरीत एकमात्र संस्थान, जो न्यूयॉर्क में स्थित नहीं है।)
✅ अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है जो यह सयुंक्त राष्ट्र  संघ के मुख्य अंगों में से एक है। है। न्यायालय के प्रशासन व्यय का भार संयुक्त राष्ट्रसंघ पर है।



✅ प्रष्ठभूमि -
➡️ वर्ष 1899 - हेग में प्रथम शांति सम्मेलन हुआ परिणामत स्थायी विवाचन न्यायालय की स्थापना वर्ष ➡️ 1907 - द्वितीय शांति सम्मेलन हुआ और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार न्यायालय की स्थापना जि
➡️ वर्ष 1922 - 'लीग ऑव नेशंस' के अभिसमय के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का विधिवत्‌ उद्घाटन हुआ, जिसका कार्यकाल राष्ट्रसंघ के जीवन काल तक रहा। 
➡️ वर्तमान न्यायालय - संयुक्त राष्ट्र संघ की अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संविधि के अंतर्गतवर्तमान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 



✅ संरचना -
➡️ न्यायाधीशों की कुल संख्या – 15(अफ्रीका से तीन, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों से दो, एशिया से तीन, पश्चिमी यूरोप और अन्य राज्यों से पाँच, पूर्वी यूरोप से दो) 
➡️ गणपूर्ति संख्या - 9  
➡️ न्यायाधीशों की नियुक्ति – निर्वाचन द्वारा 
कार्यकाल - 9 वर्ष (कोई भी दो न्यायाधीश एक ही राष्ट्र के नहीं हो सकते है)
➡️ न्यायालय के 15 न्यायाधीश निम्नलिखित क्षेत्रों से लिये जाते हैं:



✅ अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय का अधिकार  क्षेत्र :-
➡️ समस्त राष्ट्र अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। 
➡️ इसके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र अथवा विभिन्न संधियों तथा अभिसमयों में परिगणित समस्त मामलों पर है। 
➡️ इसका क्षेत्राधिकार उन समस्त विवादों पर है, जिनका संबंध संधिनिर्वचन, अंतरर्राष्ट्रीय विधि प्रश्न, अंतरर्राष्ट्रीय आभार का उल्लंघन तथा उसकी क्षतिपूर्ति के प्रकार एवं सीमा से है।



✅ ICJ में भारतीय न्यायाधीश(वर्तमान/पूर्व में रहे) :-
1.दलवीर भंडारी
2.रघुनंदन स्वरूप पाठक
3.नागेंद्र सिंह
4.सर बेनेगल राव